हिंदी भाषा को अच्छे से सिखाने और समझाने के लिए हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) को सीखना और समझाना बहुत जरुरी है हिंदी वर्णमाला में हिंदी भाषा में प्रयुक्त सभी ध्वनियो को शामिल किया गया है | जिसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी आपको इस पोस्ट के माध्यम से मिलेगा |
हिंदी वर्णमाला|Hindi Varnamala
Table of Contents
वर्णमाला की सहायता से ही हिंदी भाषा का ज्ञान प्राप्त होता है इसके बिना हिंदी भाषा को पढ़ना, लिखना और सीखना मुश्किल होता है इसलिए हमने बच्चों की सहायता के लिए हिंदी में वर्णमाला के साथ साथ ही स्वर और व्यंजन का भी उल्लेख किया है।
हिंदी वर्णमाला
वर्णमाला दो शब्दों से मिल कर बना है (वर्ण+माला )
वर्णों की माला
परिभाषा :-वर्णों के क्रमबद्ध और व्यवस्थित समूह को वर्णमाला (Hindi Varnamala) कहते है |अतः हिंदी भाषा के समस्त वर्णों के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित समूह को हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) कहते है |
मानक हिंदी वर्णमाला
हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण होते हैं। जिसमे 10 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं।
लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं इसमें 35 व्यंजन ,13 स्वर तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।
हिंदी के सभी वर्णों को एक क्रम में रखा गया है जिसे हम भाषा की वर्णमाला के नाम से जानते है |
हिंदी वर्णमाला में कुल अक्षरों की संख्या 52 होती है|

स्वर (Swar in Hindi)
हिंदी वर्णमाला में ग्यारह स्वर होते है | अ,आ,इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए , ऐ , ओ , औ स्वर होते है |ॠ, ऌ एवं ॡ को हिंदी वर्णमाला में शामिल नहीं किया गया है,क्योंकि इनका प्रयोग संस्कृत भाषा में किया जाता है, हिंदी में नहीं।
अ | आ | इ | ई |
उ | ऊ | ऋ | ए |
ऐ | ओ | औ |
व्यंजन (Vyanjan in Hindi)
हिंदी वर्णमाला में 33 व्यंजन होते हैं|
क | ख | ग | घ | ङ |
च | छ | ज | झ | ञ |
ट | ठ | ड | ढ़ | ण |
त | थ | द | ध | न |
प | फ | ब | भ | म |
य | र | ल | व | |
श | ष | स | ह |
संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan)
दो या दो से अधिक व्यंजनों के मिलने(योग) से बने व्यंजनों को सयुंक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan) कहते हैं। क्ष, त्र, ज्ञ, श्र ये चार संयुक्त व्यंजन होते हैं। संयुक्त व्यंजन को मानक हिंदी वर्णमाला में नहीं रखा जाता है।
- क्ष = क् + ष
- त्र = त् + र
- ज्ञ = ग् + य
- श्र = श् + र
हिंदी वर्णमाला चार्ट(Hindi Varnamala Chart)
हिंदी वर्णमाला के 52 अक्षरों या वर्णों को एक चार्ट के माध्यम से दर्शाया गया है, जिससे हिंदी के सभी वर्णों को समझने में आसानी होता है। यहाँ पर हम हिंदी वर्णमाला चार्ट (Hindi Varnamala Chart) उपलब्ध करवा रहे हैं। हिंदी वर्णमाला चार्ट को पिक्चर (Hindi Varnamala Chart With Pictures) के साथ दिया जा रहा है, ताकि आप आसानी से समझ सकें।
हिंदी वर्णमाला के भेद
वर्ण क्या है ?
मूल ध्वनि का वह लिखित रूप जिसके टूकड़े नहीं किए जा सकते है, उसे वर्ण (Varn) कहते है। भाषा की लघुतम इकाई ध्वनि है। ध्वनि को लिखित रूप में वर्ण के द्वारा प्रकट किया जाता है , वर्ण का प्रयोग ध्वनि और ध्वनि चिन्ह के लिए किया जाता है। इस प्रकार वर्ण ,भाषा के मौखिक और लिखित रूपों को प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता है , इसे अक्षर\वर्ण भी कहा जाता है।
वर्ण के भेद – Varn Ke Bhed
वर्ण के दो भेद है |
- स्वर
- व्यंजन
स्वर किसे कहते हैं |Svar Kise Kahate Hain
स्वयं राजते इति स्वरः
स्वर की परिभाषा:-वे वर्ण जो उच्चारण में किसी दुसरे वर्ण की सहायत से नहीं बोले जाते है उन्हें स्वर कहते है| या वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में हवा बिना किसी रूकावट के मुँह से बाहर निकलती है उन्हें स्वर (Swar) कहते हैं। इन वर्णों के उच्चारण में जीभ तथा होंठ परस्पर कहीं स्पर्श नहीं करते हैं। हिंदी में अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ स्वर होते हैं| हिंदी वर्णमाला में ग्यारह (11 स्वर)होते हैं।
स्वरों की मात्रा
स्वर की 10 मात्रा होती है
ा | ि | ी | ु | ू | ृ | े | ै | ो | ौ |
स्वर के भेद ( Swar Ke Bhed)
स्वर के निम्नलिखित 3 भेद होते है –
- मात्रा के आधार पर
- उत्पति या निर्माण के आधार पर
- जिह्ववा की उच्चारणस्थिति के आधार पर
मात्रा के आधार पर
मात्रा के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते है
- हृस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
हृस्व स्वर किसे कहते है
जिन वर्णों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर कहते है हिंदी में चारअ ,इ ,उ, ऋ हृस्व स्वर होते हैं। इनको लघु, मूल या एकमात्रिक स्वर भी कहा जाता है।
दीर्घ स्वर किसे कहते है?
जिन वर्णों के उच्चारण में दो मात्रा का समय अर्थात हृस्व स्वरों के उच्चारण से दूगना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते है| हिंदी में आ, ई, ऊ, ए, ए, ओ, औ आदि दीर्घ स्वर होते हैं। हिंदी में सात दीर्घ स्वर होते हैं। इनको संधि एवं द्विमात्रिक स्वर भी कहते हैं।
प्लुत स्वर किसे कहते है ?
जिन वर्णों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से दूगना या हृस्व स्वरों से तीन गुना अधिक समय लगता है उन्हें स्वर प्लुत कहते है| जैसे -ओ३म्
स्वरों का उच्चारण स्थान
स्वर | उच्चारण स्थान |
अ, आ | कंठ |
इ, ई | तालु |
उ, ऊ | ओष्ठ |
ऋ | मूर्धा |
ए, ऐ | कंठ – तालु |
ओ, औ | कंठ – ओष्ठ |
व्यंजन (Vyanjan in Hindi Varnmala)
व्यंजन की परिभाषा – जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजन वर्णों का उच्चारण करते समय हवा मुंह में कहीं ना कहीं रुकती है। जब हम किसी वर्ण विशेष का उच्चारण करते हैं तो हमारे मुँह में या स्वरयंत्र में वर्ण विशेष के हिसाब से हवा को रूकावट का सामना करना पड़ता है। जब यह रूकावट हटती है तो इन वर्णों का उच्चारण होता है।
प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में अ स्वर मिला रहता है | अ के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं है|
हिंदी वर्णमाला में व्यंजन कितने होते हैं Vyanjan in Hindi Varnmala)
हिंदी वर्णमाला में 33 व्यंजन (33 Vyanjan) होते हैं। इसके अलावा चार संयुक्त भी व्यंजन होते हैं। अतः हिंदी में कुल व्यंजन 39 होती है।
हिंदी व्यंजन की मात्रा
व्यंजनों की कोई अपनी मात्रा नहीं होती है. जब किसी व्यंजन में कोई स्वर वर्ण जुड़ता है तो व्यंजन वर्ण में उस स्वर की मात्रा जुड़ जाती है. जैसे क् + आ = का
व्यंजन के प्रकार (Vyanjan ke Bhed)-
हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnmala) में व्यंजन 3 प्रकार के होते है।
- स्पर्श व्यंजन
- अन्तस्थ व्यंजन
- ऊष्म व्यंजन
स्पर्श व्यंजन
जिन व्यंजनों का उच्चारण में निकलने वाली वायु विभिन्न उच्चारणस्थानों में से किसी न किसी स्थान को स्पर्श करती हुई बाहर निकलती है|तो उसे स्पर्श व्यंजन कहते है। क से म जैसे –
व्यंजन | वर्ग |
क ख ग घ ङ | क |
च छ ज झ ञ | च |
ट ठ ड ढ ण | ट |
त थ द ध न | त |
प फ ब भ म | प |
(वर्णमाला) में स्पर्श व्यंजन की कुल संख्या 25 है।
२- अन्त:स्थ व्यंजन –जिन वर्णो का उच्चारण में वायु मुख में विभिन्न उच्चारण स्थानों को हल्का सा स्पर्श करती है उन्हें अन्त:स्थ व्यंजन कहलाते है।
जैसे – य र ल व
३- उष्म/संघर्षी व्यंजन –जिन व्यंजनों के उच्चारण करते समय वायु मुख में किसी स्थान विषेश पर घर्षण खा कर निकले और ऊष्मा पैदा करे ,उसे उष्म/संघर्षी व्यंजन कहते है।
जैसे –श ष स ह
व्यंजन का वर्गीकरण (Vyanjan ka Vargikaran) :
हिंदी वर्णमाला में उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजन का वर्गीकरण निम्न है –
कण्ठ्य – क, ख, ग, घ, ङ, ह
तालव्य – च, छ, ज, झ, ञ, य, श
मूर्धन्य – ट, ठ, ड, ढ, ण, ष, र
दन्त्य – त, थ, द, ध, न, ल, स
ओष्ठ्य – प, फ, ब, भ, म
दन्तोष्ठ – व
अनुनासिक – ङ ञ ण न म
अघोष (Aghosh Vyanjan)
Hindi Varnmala के स्पर्श व्यंजन के प्रत्येक वर्ग (क च ट त प) के प्रथम एवं द्वितीय व्यंजन, अघोष व्यंजन कहलाते है।
जैसे – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ
घोष (Ghosh Vyanjan) –
प्रत्येक वर्ग के तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम व्यंजन, घोष व्यंजन कहलाते है।
जैसे- ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण,द, ध,न, ब ,भ, म
अल्पप्राण (Alppran Vyanjan)
प्रत्येक वर्ग के प्रथम , तृतीय , पंचम व्यंजन ,अल्पप्राण व्यंजन कहलाते है।
जैसे – क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म
महाप्राण (Mahapran Vyanjan)
प्रत्येक वर्ग के द्वितीय और चतुर्थ व्यंजन, महाप्राण व्यंजन कहलाते है।
जैसे – ख, घ ,छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ
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- सर्वनाम किसे कहते हैं
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- डीएनए और आरएनए में अंतर
- अनुदैर्ध्य तरंग और अनुप्रस्थ तरंग में अंतर |
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हिंदी वर्णमाला के महत्वपूर्ण प्रश्न
1-हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं?
हिंदी वर्णमाला में 44 वर्ण होते हैं.
2-हिंदी वर्णमाला में कुल स्वर कितने होते है?
हिंदी वर्णमाला में स्वर 11 होती है.
3-हिंदी में कुल कितने व्यंजन है?
हिंदी में कुल 39 व्यंजन होते हैं, 33 व्यंजन मानक हिंदी व्यंजन होते हैं, चार संयुक्त व्यंजन (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र ) होते हैं और दो उत्क्षिप्त व्यंजन होते हैं|
4-क से ज्ञ तक कितने अक्षर होते हैं?
क से तक ज्ञ 36 अक्षर होते हैं|
Mst hi